पर्यावरण सेवा

"सेवा का महत्व"

सेवा, दान करने से मन तो शुद्ध होता ही है साथ हाथ भी पवित्र होता है। कलयुग के जीवन की द्रव्य में शक्ति होती है। सनातन धर्म शास्त्र ऐसा कहते हैं जब मन से हमारे प्रभु सेवा मैं अपने धन का व्यवहार होगा तब हमारी आदि व्यादि उत्थान दूर होगी। धर्म चच्चारणीय है उस मैं से कलयुग में दान रूपी धर्म शेष रह गया है जब हम धर्म की रक्षा माई लग जाते हैं तब धर्म ही हमारी रक्षा करता है। सेवा के तीन प्राकर हैं प्रथम तनुजा द्वितीया वित्जा और तृतीया मानसी सेवये कलयुग में वत्जा सेवा प्रमुख बन गई है और सेवा करने से यश-धन धन्य वंश वृद्धि और सौभाग्य का उदय होता है। ये सृजन सेवा करने वाले वैष्णव जीव के सभी मनोरथ उनका वह धर्म ही पूर्ण करता है क्योंकी धर्म स्वयं प्रभु ही है इसलिए प्रभु धर्म निश्चय वैष्णव जन का हर प्रकार से कल्याण करते हैं। अनंत प्रभु की कृपा से अनंत लीला होती है।

गौसेवा – 501/- गौ पूजन - 5101/- गौ दान - 25,001/-

श्री कृष्ण को गाय अतिप्रिय है अत: ब्रज मैं गौपूजन, गौदान, गौसेवा का एक विशेष महत्व होता है।

मत्स्य सेवा (मछली सेवा) – 501/-

यमुनाजी और ब्रज के विविध कुंडो में मत्स्य पालन हेतू आटे की गोली बनार खिलाई जाती है।


वानर सेवा – 501/-

ब्रज में श्री गिरिराज परिक्रमा में और अन्य स्थान पर वनरों का बड़ा परिवार बस्ता है। उन्को फल-फुल-चना खिलाकर संतृप्त किया गया है।


पक्षी सेवा - 501/-

गौलोक धाम में बड़े बड़े पेड़ों पर रहने वाले मोर, तोता, चिड़िया, कबूतर, आदि पक्षी निवास करते हैं। इन पक्षियों हेतू अनाज के दाने गेहुं, बाजरा, जवार आदि दान करते हैं।

संत सेवा – 1001/-

ब्रज में अलग अलग स्थान पर भीक्षा व्रती से साधु संत अपना निर्वाह करते हैं और श्री हरि की आराधना, भक्ति, दंडवती परिक्रमा आदि करते हैं। उनके हेतू वस्त्र दान, अन्न दान, दवाई, चश्मा, जूता -चप्पल और सर्दियों में कंबल, गरम कपड़े देकर उनकी सेवा करते हैं।

ब्राह्मण सेवा – 1001/-

ब्रज के ब्राह्मणों हेतु ब्राह्मण भोजन, दक्षिणा, धोती, वस्त्र सेवा, भंडारा करके विविध प्रकार से उनकी सेवा करते हैं।

हरित ब्रज सेवा – 1001/-

पर्यावरण संरक्षण हेतु ब्रज में हरित क्रांति की आवशयकता हे। ब्रज में १२ वैन, २४ उपवन थे पर अब उनकी हालत जीर्ण हे I उन्हे फिर से हरे भरे वन बनाने हेतु हर एक व्यक्ति को कम से कम एक पेड अवश्य लगाना है। जीवन के लिए सबसे ज्यादा उपयोगी ऑक्सीजन की प्राप्ति हेतु ब्रज में नीम, पीपल, बरगद, कांजी, अर्जुन, अशोक, कदम्ब, आदि बड़े बड़े पेड़ लगाने हैं जो अपनी छाया से पाशु-पक्षी-मानव को सुख प्रदान करते हैं। संपूर्ण ब्रज मंडल में विविध औषधि स्वरूप वृक्ष लगाकर उनकी संरक्षण हेतू लोहे की जाली लगानी चाहिए नियमत जल की उपलब्धता प्राप्त करनी है |