ब्रज मंडल - वृंदावन

वृंदावन

वृंदावन की पंच कोसी परिक्रमा है। यह बृज का तट वृंदावन है। यह चैतन्य महा प्रभु द्वारा प्रकट किया गया है। यहां श्री बांके बिहारी लाल प्रकट स्वरूप जो श्री हरि दास स्वामी द्वारा निधिवन साईं प्रकाश किए गए थे। वृंदा नाम तुलसी का है। तुलसी का वन वो ही वृंदावन है। राधा बल्लव, गोपी नाथ मदन मोहन राधा रमन, राधा दामोदर, कुंज गली, धन गली, मान गली, यमुना गली, सेवा कुंज, झा श्री राधा रानी के चरण दबे है और सेवा कारी है निधि वन रंग महल में श्री कृष्ण ने श्रृंगार किया है। यहां पर 5000 मंदिर और 550 आश्रम है। यहाँ पर श्री मद भागवत अनुसर यज्ञ पत्नियों द्वारा स्नान की चख आरोगी है। नंद गौ साई मथुरा जब अक्रूर जी ले कर जा रहे तब यमुना स्नान करने पर कृष्णा बलराम ने अपने आधा देविक स्वरूप का दर्शन कराये है। (एक पलक जो रही है वृंदावन एक पलक जो रही है वृंदावन) वृंदावन में एक पल रहने का बहुत फल है। वृंदावन गौ चरण की भूमि है।

दर्शनिया स्थल

यहां मोहिनी बिहारी जी के दर्शन है (ताठिया स्थान) जो प्राकृतिक वृंदावन लगता है जो श्री गौरे हरि दास जी की स्थली है, जमाई ठाकुर, भतरौंड बिहारी के दर्शन, अक्रूर जी के दर्शन, अक्रूर घाट, जयपुर वाला मंदिर, देव नल कुंड, मोती जील कुंड, अखंड नंद आश्रम, प्रेम मंदिर, मदन मोहन जी, काली देह, काली मर्दन, अष्ट सखी, बांके बिहारी, राधा बल्लव, गोपी नाथ, सेवा कुंज, सवा मन का साले ग्राम, राधा दामोदर, मीरा के मोहन, जी मंदिर, निधिवन, राधा रमन, गोपेश्वर महादेव, गोधा बिहार, महा प्रभु जी की बैठक, गोविंद देव, कात्यानी देवी, ब्रह्म कुंड, रंग नाथ मंदिर।

चीर घाट

यहां कृष्णा ने गोपियो की चीर हरण लीला (वस्त्र हरण) की थी और इस स्थान पर गोपियो को ज्ञान किया है की वस्त्र बिना जल मैं स्न्नान नहीं किया जाता है इससे वरुण का दोष लगता है इसी स्थान पर गोपिओ ने श्री यमुना जी का राज साई पूजन किया है। (गोप महस) मार्ग शीश महिनें में।

दर्शनीय स्थल

चीर घाट, श्री यमुना जी के दर्शन, कात्यानी के दर्शन।

बाच वन (गांव का नाम सेही)

ब्रह्मा जी ने जब बछड़े चुराए तब कृष्ण की दूसरी सृष्टि के निर्माण की लीला को देख कर ब्रह्मा जी को लगा ये सही की ब्रह्म लोक में है वो सही जो सृष्टि है वो सही जीव माटृ की रचना तो में करता हूँ, पर ये सृष्टि को नई बनाई इसलिये गौ का नाम सेही। श्री कृष्ण बछड़ा बन कर बच वन से उनके घर में जाते तब उनकी माटा उनसे प्यार करती और अपने स्तान से दूध पिलाती थी। एक दिन श्री कृष्ण बलदेव बछड़ा चराते ग्वालों के संग यहां आए तो दाऊजी को उन बछड़ो से बड़ा ही मोह हुआ तब ज्ञान की दृष्टि से देखा तो उनमे (बछड़ा और ग्वाल) में सहस्त्र श्री कृष्णा के रूप देखे।

पीछे दाऊजी ने यह श्री कृष्ण से पूछा, ऐसा में क्या देखता हूं इसका भेद बताओ। श्री कृष्ण ने कहा भईया ब्रह्म ने ग्वाल बछड़ा चुरा लिया है वह इसलिय मुझे रूप रखना पड़ा है। यह सुन क्रोध कर बोले तुमको ऐसा कष्ट ब्रह्मा ने क्यों दिया जो आप घास चरते हैं। मैं ब्रह्म को ब्रह्म लोक सहित शान मत्रा में खराब कर दूंगा। तब श्री कृष्ण ने राम स्वरूप से दाऊजी को दर्शन दिया है और बोले मेरे अवतार में जनकपुर की कुछ स्त्री मुझे पति रूप में चाहिए थी उनको मैंने वरदान दिया तुमरी क्रीड़ा कर उन्हे सुख देना है। कुछ अयोध्या की स्त्री, ऋषि पत्नी मुझे पुत्र भव से चाहती थी वे सब यहां गौ, गोप स्त्री हुई उनकी इच्छा पूरी करने को में पुत्र की तरह लाड लडवता हु। इसमें ब्रह्मा की कोई गलत नहीं है, उन्हें क्षमा कर दो। यह कह कर कृष्णा ने छाक आरोगी है इस समय ब्रज भक्त कनक कटोरा में रबड़ी भर भर के दीनी है। कटोरा फोन से यहां कनक सागर हुआ है।


दर्शनीय स्थल

ब्रह्म बाबरी, ब्रह्म कुप, ब्रह्म ज्ञान बाबरी, ग्वाल चौथरा, बछ बिहारी, चतुर्भुज नाथ के दर्शन।

गरुण गोविंद

ये जगह ब्रिज लीला में भजरा नाब भगवान का प्रपुत्र भजरा नाब के द्वारा स्थापित है। यहाँ कृष्णा भगवान ने कालिया नाग का भय दूर किया है। गरुण और कालिया नाग का भय था इसलिय कालिया नाग यमुनाजी में रहता था गरुण के भय से, गरुण को यहाँ श्राप था कृष्णा ने अभयता का वरदान पदचिन्नो द्वारा मस्तक पे प्रदान किया था।

दर्शनीय स्थल

गरुण कुंड, गरुण गोविंदा, लक्ष्मी जी के दर्शन।

ब्रहद वन

श्री यमुनाजी के दो तट है। एक तट पर वृंदावन है। और दूसरे तट पर ब्रहद वन है, ब्रहद वन का अंतर गत बेल वन, माट वैन, श्याम वन, भांडीर वन, महावन है (प्राचीन गोकुल) ।

बेल वन

बेल वन में श्री लक्ष्मी जी ने तपस्या की है ब्रज में लक्ष्मी जी को आते हुए तो देखा पर ब्रज में श्री मद भागवत में गोपी गीत मैं ऐसा लेख आता है (श्रयत इंद्र स्वास्थ्य दाता ही बृज गोपियो का भाग्य देख कर मेरा ब्रज में जनम क्यो नहीं हुआ इसलिए में बेल वन में ही बैठा के तपस्या करू बिल्व पत्र के वृक्ष आदि होने से इसे बेल वन कहा जाता है।

दर्शनिया स्थल

लक्ष्मी जी के दर्शन, लक्ष्मी जी का कुप, श्री महा प्रभु जी की बैठक के दर्शन, बिल्व वन (बेल वन)।

माट वन

यहां दाऊ जी ने माट मतलाब मटकी में दही माखन अरोगा है इसलिए इस वन को माट वन कहते हैं।

दर्शनीय स्थल

दाऊ जी के दर्शन, यमुना जी के दर्शन।

श्याम वन

यहां श्याम तमाल के आदिक वृक्ष है इसलिए इस वन को श्याम वन कहते हैं।

दर्शनिया स्थल

श्याम बिहारी के दर्शन, श्याम तलाई कुंड के दर्शन, श्याम वठ, श्याम तमाल वृक्षो का दर्शन।


बिचुआ वन

यहाँ श्री राधिका जी सखियों के संग क्रीड़ा करती थी जिन्के संग श्री कृष्ण गोपी रूप में छिप्के क्रीड़ा करते। एक दिन क्रीड़ा में राधिका जी का बिछुआ कुंड में गिर गया और बहुत ढूंढा किसी को नहीं मिला जिससे श्री कृष्ण के मन को दुख हुआ। उन्होंने अंतर्यामी होके जान लिया वो बिछुआ कहां है और फिर बोले की आपको बिछुआ ढूंड के दू तो आप क्या दोगी । श्री राधा जी ने कहा हे सखी जो मांगोगी वो ही देंगे। यह सुन कर श्री कृष्ण ने बहुत सारे बिछुए कुंड से बाहर निकल दिए और अपने हाथो से किशोरी जी को बिछुआ पहनाये । श्री राधा जी ने कहा की सखी अब तू मांग तुझे क्या चाहिए। श्री कृष्ण ने हंस कर रेन निवास मंगा। श्री राधा जी ने पहचIन लिया और बाकी सखियों से कहा के इसने तो छल किया है, यह सखी नहीं छलिया है। ये कह के दोनों मिले हैं यहां और इसलिय इसे विलास कुंड कहते हैं।

भंडीर वन (भंडीर वट)

यहाँ पर कृष्णा ने प्रलंबा सुर जिसने गोपियो को उठा के यहां पर बंधी बनाया था दाऊ जी के संग उसका वध किया है। एक कल्प में ब्रह्मा जी द्वारा श्री राधे कृष्ण का विवाह संपन्न किया है वट वृक्ष के अंदर कृष्ण की लगान चौरी का दर्शन है।

दर्शनीय स्थल

भांडीर बिहारी, भांडीर वट, भांडीर कुप, दाऊजी के दर्शन, मुकुट के चिन्ह, श्री महा प्रभु जी की बैठक।

मान सरोवर

यहाँ मान श्री राधा की महा मन की ठौर है, यहाँ राधिका जी महा मन करके बैठ गई है, श्री कृष्ण सखिन ने ढूंढते डोले है, यहाँ श्री राधिका जी कमलन के बीच अपने हस्त कमलन मुँह पे धर के नेत्र मूंद बैठि है, मानो कमल पे चन्द्रमा बैठो है, ये सब देख श्री कृष्णा पे सब बोले है। क्यों की जब क्रोध आता है तो आंखें में ही आता है, श्री राधिका जी के नेत्र क्रोध से बहुत अधिक कोपित हो गये है। इसलिए ये नेत्र बहार आ गए हैं।

दर्शनिया स्थल

यहाँ मान बिहारी जी के दर्शन है, यहाँ राधिका जी की बैठक है और नेत्र के दर्शन है। मान सरोवर कुंड के दर्शन है।