ब्रज मंडल - बरसाना

बरसाना

यह श्री राधिका जी का मूल निवास स्थान है। उनके पिता वृषभानु जी का यहाँ सुंदर महल है।
एक यहाँ स्वामिनी श्री राधिका जी के अमृतातुल्य अदभुद प्रकहर पुण्यपुज्यप्रताप का ही बाल था की सारे ब्रज मंडल मैं कंस का अधिपत्व होने पर भी वृषभानु के खिरक (बेल-सांड-बछड़े बांधने का स्थान) में और उस पुरे क्षेत्र में कंस और उसके किसी भी असुर का प्रवेश निषेध था, अगर कोई प्रवेश करता भी तो उसकी माया वाहन निश्फल हो जाति, और गोपी स्वरूप ले लेता, और उसका भाव परिवर्तन होता। विराज के अंदर त्रिदेव, ब्रह्मा, विष्णु, महेश। ब्रह्मा स्वरूप में बरसाने का पर्वत, विराज मन है, और व्रज वास कर रहे हैं। बरसाने में "भानोस्वर" तीर्थ है याहिन श्री राधिका जी ने कंस को स्त्री रूप बनाकर अपने प्रभुत्व को प्रकट किया था। कीर्ति जी राधिका जी की माता जी थी, और भान ओखर में ही, कंस को राधिका जी ने गोपी बनाया था।

दर्शनीय स्थल

भान ओखर कुंड, कीर्ति कुंड। भानोस्वर से दक्षिण गांव की सीमा पर थोड़ी दूर रावल (जोगी) कुंड है, यहां श्री कृष्ण ने योगी का वेश धारण किया था।

यहाँ एक बगीचे में चबूतरा है जिसे "योगी बैठका" कहते हैं। कुछ दूर पे 'तिलक कुंड' है, पश्चिम में ऊपर पहाड़ पर 'विलास गढ़' दिखाई देता है उसके पूर्व में श्मशान के पास 'मोर कुंड' है, यहाँ से मोर बन कर "कुहुक कुंड" से कुहुक मार उड़ कर ऊपर शिखर पर श्री कृष्ण ने मयूर नृत्य किया जिसे मोर कुटी कहते हैं। यहीं पर आगे "ललिता कुंड" है, उसके आगे "विशाखा कुंड", इसके बराबर में ही बिहार कुंड, पश्चिम में "जल बिहार" कुंड और पास में ही धोहिनी कुंड है। घेवर वन, श्री राधा सरोवर कुंड, मन गाड़, मन विहार जहां श्री राधिका जी ने मन लीला करी है, मन विहार के दर्शन है। यहां दान लीला का रास होता है। "प्रिया-प्यारी" दोनो यहां प्रेमपुरवाक "झुला" झूले है। झूला का स्थान है और "दान बिहारी" का दर्शन है, एक सुंदर जयपुर वाले राजा का मंदिर है, वंश बिहारी कुशल बिहारी कहते हैं, जयपुर नरेश की मनोकामना पूर्ण होने पर मंदिर का निर्माण किया था। चित्रा सखी का गांव चिकसोली। पीरी पोखर, यह श्री राधिका रानी के हल्दी वाले हाथ धोने के कारण पीरी पोखर कहा जाता है।

डभरो गांव

यहाँ श्री राधिका जी की सखी 'चंपकलता' का गांव " डभरो " है।

दर्शनीय स्थल

उसके आगे सूर्य कुंड है, पास ही गांव के बहार दक्षिण में वृषभानु राजा की गोबर उठने वाली नौवारी-चौवरी नाम की दो सखी रहती थी, दोनो ने श्री राधिका जी को " छाक " दिनी और स्वामिनी जी को गुड़िया-गुड्डा का खेल खिलाया है |

आजनो गांव

श्री राधिका जी ने रास से पहले यहां पर, श्रृंगार किया है आज अंजन माने आंख और अंजन माने काजल, यहां पर आंखों में काजल लगा है। इसिलिए इस स्थल को अंजन वन कहते हैं।

दर्शनीय स्थल

अंजन विहारी, अंजन ओखर, कजरोती सिलह, याहा से थोड़ी दूर पर पिसाया की कदम खंडी और चिरंजीव अश्वत्थामा का निवास स्थान है। राधा (किशोरी), यह किशोरी जी के दर्शन है।

करेहला

कर माने हाथ, और एहला माने आवाज बृज की भाषा के अनुसार यहाँ पर, कृष्णा ने श्री राधिका जी का हाथ पकड़ कर आवाज दी, आप रास मंडल में पधारो I यहाँ लघु रास जगह है, इस ही गांव से राधिका रानी की आज्ञा से, रास की परंपरा चल रही है, जो हम सब आप लोग देखते हैं। रास के श्रृंगार में यहाँ कंगन पहनाये है।

दर्शनीय स्थल

कंगन बिहारी, कंगन कुंड, झूला की दौड़।

प्रेम सरोवर

यहाँ श्री राधिका रानी श्री कृष्ण प्रथम, मिलन स्थान है श्री कृष्णा को देखने के बाद, मोह मतलब प्रेम उत्पन हुआ है, इसलिय इसे प्रेम सरोवर स्थान कहते हैं।

दर्शनीय स्थल

प्रेम बिहारी, प्रेम सरोवर श्री दाऊजी के दर्शन है।

संकेत वन

संकेत मतलब इशारा, नंदगांव और बरसाने के मध्य भाग में स्थिति है, नंद गांव से श्री कृष्णा ग्वाल बालो के साथ और बरसाने से श्री राधिका गोपियो के साथ।

दर्शनीय स्थल

श्री महाप्रभुजी की बैठक, संकेत देवी, लगान चौत्र-लगान स्थली, रास स्थली, झूला की ठोर, संकेत विहारी।

रेटोरा गांव

यह श्री राधिका जी की सखी, अष्ट सखियों में से एक चंद्रावली सखी का गांव है।

दर्शनीय स्थल

चंद्र वाल बिहारी, चंद्रावली कुंड और श्री गुसाईजी की बैठक वह चंद्रावली अवतार।