राक्षस अधिक होने के कारण गोकुल में आसुरी उत्पात अधिक देख "श्री नंदराय जी" ने इस क्षेत्र में आश्रय ग्रहण किया जिसे नंद बाबा के नाम से "नंदगांव" कहते हैं।
पर्वत की श्रंखला में, श्री महादेव यहाँ पर्वत पर ब्रज वास करते हैं और इसे नंदीस्वर पर्वत कहते हैं।
Vवृंदावन सो वन नहीं नंदगांव सो गांव। बंसी बट सो बट नहीं कृष्णा नाम सो नाम II
ये बृज के मधपुरी, वृंदावन, बरसाना, नंदगांव, गोकुल में कंस के भय के कारण नंद महोत्सव सूक्ष्म किया है नंदगांव में नन्द बाबा ने 2 लाख गाय का श्रृंगार करके 6 महीने तक नन्द महोत्सव किया है।
नंद महल नंद परिवार, नंदीश्वर महादेव के दर्शन नंद बैठक, नंद कुंड और यशोधा कुंड, मक्षुधन कुंड, यशोधा जी के दर्शन, पान सरोवर, मोती कुंड, मोती बिहारी, फूलभरी कुंड (आश कुंड, आशीर्वाद महादेव यशोधा मां ने कृष्ण के दर्शन महादेव जी को नहीं कराये तब आशा लगा कर भेट गए योगी लीला) चाचा कुंड, चाचाहारी देवी नंद बाबा काई 9 लाख गई थी पूरी गांव की चाचा एक कुंड में हिखाती की जाति थी इसलिय चाच कुंड है, ललिता कुंड, ललिता बिहारी, जुहला की थोर (उद्धव क्यार जहां गोपी उधव ज्ञान संवाद प्रेम हुआ) हुई और ब्रमर गीत का गान हुआ उधव कुंड उधव की क्या)।
ये श्री राधिका जी की मान स्थाली है। इस गांव में श्री कृष्णा चूड़ी बेच ने आए गोपी का भेश धर कर यहां कृष्णा ने नट लीला राधिका जी को मन ने के लिए की थी।
जाओ बिहारी राधा कांट मंदिर, चूड़ी तलाई, चूड़ी बिहारी, दाऊजी के दर्शन, बलभद्र कुंड, किशोरी कुंड, किशोरी राधा जी के दर्शन, जाओ भट के दर्शन
श्री राधिका रानी को प्रश्न करने के लिए (कोकिल) कोयले की आवाज निकाली है इसलिये ये कोकिला वन यहां शनि और सूरज दोनो श्री यमुनाजी से मिलने आए हैं।
कोकिला बिहारी, जल बिहार कुंड, शनि देव के दर्शन और सूरज कुंड और श्री महा प्रभु जी की बैठक ।
वनवास का समय यहाँ पांडव द्रौपदी साहित्य बृज वास करने आए है पर प्यास लगने के कारण बाँध से गंगा को प्रकट किया है इसलिय पांडव गंगा केथे है।
पांडव गंगा, पांडव का स्थान
ये दर्शन स्थल श्री बलदेव जी (दाऊ जी) के गांव का विश्राम स्थल है बड़े भैया होने से दाऊ जी गैया चरा ते या कृष्णा बछड़ा चारा ते।
दाऊ जी के दर्शन, बलभद्र कुंड के।
ये कृष्णा की बचाओ की विश्राम इस्तल्ली है कृष्णा छोटे थे इसलिय बछड़ा चरा ते और दोपहर को विश्राम करते थे।
साक्षी गोपाल के दर्शन, कृष्ण कुंड।
ये ब्रिज की चौथी गंगा है ये बृज की भावना लीला में बामन अवतार साईं सम्बंहित है ब्रह्म लोक में जब बामन बागवान का चरण गया था तब ब्रह्मा जी ने इस्का पूजन किया तो यहां चरण के चिनहो के दर्शन है।
श्री राधे कृष्ण, चरण पहाड़ी चरण के चिनहो के दर्शन।
याहा प्रभु नै गोपियो के साथ प्रत्येक गोपियो के मन में जो भावनाओ के अरूप कोटन (कोट लीला) की है इसलिय इस को कोट वन कहते हैं।
शीतल कुंड, श्री नाथ जी के दर्शन, श्री महाप्रफू जी की बैठक।
ये लीला स्थली श्री कृष्ण भगवान ने राम अवतार सतयुग से लीला की संबंध बताता है कृष्णा भगवान् यशोधा मां की गोद में सो रहे थे और एक दिन अचानक उठ गए और दाऊ जी को बोले "लखन मेरा धनुष लाओ"
श्री राम जी काई दर्शन, राम कुंड।
बृज की भाषा मैं इसे पोंडा नाथ कहते हैं। इसका अर्थ (लेटे हुए भगवान)। बृज वासियो को गोलौक धाम की लीला का दर्शन कराये है।
क्षीर सागर कुंड, शेख सही कुंड।
ये ब्रज लीला की भावना में द्वारका पूरी का लीला स्थल कहा जाता है। यह गोमती नदी का स्थल है।
द्वारकादीश के दर्शन, गोमती कुंड के दर्शन, राधा बल्लव के दर्शन, दाऊ जी के दर्शन।
इस स्थान पर कृष्णा ने दवाग्नि नामक अग्नि का पान किया जो कंश का भेजा हुआ राक्षस था कृष्णा ने इस्स ही इस स्थान पे किया। इस अग्नि को शांत करने के लिए गोप ग्वालो ने दुगद पान करे। (पाई माने दूध इसलिय पाई गांव है)।
साक्षी गोपाल कुंड, साक्षी गोपाल के दर्शन, चतुर्भुज नाथ के दर्शन, पाई बिहारी, पाई सरोवर, दाऊ जी के दर्शन।
इस स्थान पर कृष्णा गेंद बल्ला खेलते थे। याही पर कृष्ण ने कंस के काली नाग को नथा है इसलिए इस स्थान को कृष्ण का नाम से लाल बाग खिलान वन कहते हैं।
गोपाल जी के दर्शन।
ये दाऊ जी के रस की इच्छा होने से औ जी नया यह पेठा (मतलब सेहरा) बंधन है इस्लिये इस गांव को शेर गढ़ कहते हैं।
दाऊ जी के दर्शन, राधा बल्लव के दर्शन, श्री यमुनाजी के दर्शन।
यहा यमुना जी का (संकर्षण) मतलब श्री यमुनाजी को हल से पकड़ कर ऐंचा है कृष्णा ने ओबे दाऊ जी कहा था इस्लिये इस गांव को ओबे दाऊ जी खेते है।
राम घाट, श्री यमुना जी के दर्शन, दाऊ जी के दर्शन।
ये श्री राधा कृष्ण की बिहार स्थली है यहाँ पर वृक्ष मैं कुंज निकुंज वन है यहाँ पर एक सुंदर गौ शाला भी है जो नंद वंश धौरी गाय की वंश की है जिस गाय का दूध कृष्ण भगवान पीते थे ।
बिहारी जी के दर्शन, बिहार कुंड और सुंदर गौ शाला का दर्शन।
यहाँ नंद बाबा के सेब्य सालेग्राम के दर्शन है ब्रज लीला में कृष्णा ने रख लिया थे बाल स्वरूप होने कारण से बेकुंठ में अक्षय बट है इसलिय इस लीला की भावना के इतिहास से अक्षय बट कहते हैं।
नंद बाबा के सेब्य सालेग्राम के दर्शन, श्याम तलाई।